भाषण

'हम दुनिया भर मे� महिलाओ� और लड़कियों के अधिकारों का समर्थन करते है�'

ब्रिटि� उप उच्चायुक्त कोलकात� ब्रू� बक्नेल ने कोलकात� मे� 11 अक्टूब� 2017 को अंतर्राष्ट्री� बालिका दिवस के अवसर पर मुख्� व्याख्या� दिया�

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तह� प्रकाशित किया गय� था
Kolkata

आप सो� सकते है� कि आज मै� आपसे क्यो� बो� रह� हूं।

मै� एक मध्य� आय� वर्ग का आदमी हूँ। मेरे 2 बेटे हैं। आप मुझे आसानी से ‘पितृसत्ता के भाग� के तौ� पर परिभाषित कर सकते हैं। आज मै� यहां आपसे अंतर्राष्ट्री� बालिका दिवस के बारे मे� क्यो� बा� कर रह� हू�?

ये वो दि� है जब हमें लैंगिक असमानत� मे� योगदान देने वाले मुद्दो� से निपटने के तरीको� और उन चुनौतियो� के बारे मे� सोचन� चाहि�, जिसक� युवा लड़कियों को रोजमर्रा के जीवन मे� हर जग� सामन� करना पड़त� है�

आज (14 वर्ष से कम आय�) की 1.1 अर� लड़कियां है� - यह सभी के लि� बेहत� और स्थायी दुनिया बनान� के लि� बेहतरी� आंकड़े हैं।

हम सभी को उन्हें उनके सपनो� तक पहुंचाने और उनके � उनके समुदायों के लि� बेहत� जीवन बनान� के लि� उन्हें सशक्� बनान� मे� निवे� करने की आवश्यकता है� यह सिर्� लड़कियों और महिलाओ� के लि� नही� है� हम सभी की मा� और दादी हैं। हम सभी के महिल� संबं� है, और हममे� से कु� की बह� और बेटिया� हैं।

मै� भी एक अल� संस्कृति से आय� हूं। मै� पश्चिमी, ईसाई परंपरा मे� शिक्षि� हु� हूं। मैंन� बाइबिल पढ़ी है, उसका अध्ययन किया, और न्यू टेस्टामेंट से क्रिश्चियन एथिक्स को सीखा है जिसमें यीशु मसी� का जीवन और ज्ञा� दर्ज है�

विवे� हमेश� उम्र के सा� नही� आत� है� � ही यह लिंग के सा� आत� है� � ही किसी एक धर्म का ज्ञा� पर एकाधिकार है� आज की तैयारी के अंतर्ग� मुझे स्थानी� धर्मों से कु� ज्ञा� चाहि� था� मुझे हिंद� परंपरा के बारे मे� ऐसी जानकारी या सम� नही� थी, लेकि� हमने अभी दुर्गा पूजा का उत्स� मनाय� है�

मा� दुर्गा योद्धा देवी है, जो बुरा� से लड़ती है� और अत्याचार, उत्पीड़� और दुष्टो� के खिला� अपनी शक्तियों का प्रयोग करती है� � वह सिर्� मा� या बेटी के रू� मे� नही� बल्क� एक लीडर और योद्धा के रू� मे� भी पूजी जाती हैं। यहां स्पष्ट संदे� यह है कि लड़कियां जो चाहे वो बन सकती हैं।

भारत बौद्� धर्म का भी गढ� रह� है� और बुद्� की शिक्षाओं मे�, ‘दंड� (के कौ� द्वारा अनुवादित) पर पा� मे� धम्मपद से प्रासंगि� ज्ञा� मौजू� है:

दं� और मृत्यु
कड़व� फल है�
बुरे कर्मों के
वास्तविकता की उपेक्ष� मे� किये गय�
तो ध्या� मे� रखें
कि हर को� भय मे� रहता है
दं� और मृत्यु के
आपकी तर� जीवन को प्या� करते हु�
इसलि� दूसरों के सा� वही कर�
जैसा कि तु� चाहत� हो कि लो� तुम्हारे सा� करें,�
�.यद� आपको खुशी होती है
अच्छ� का� करने मे�
जिसस� दूसरों को खुशी मिलती है
आप इस जीवन मे� और उसके बा� खु� रहेंगे�

खु� रहना� दूसरों के सा� वैसा व्यवहा� करना जैसा आप उनसे अपने प्रत� चाहत� हैं। हम उस� कैसे कर सकते है�? चलिए मै� 3 चीजो� की बा� करता हूं।

पहला - भाषा� हम अपने शब्दों से अपनी निंद� करते है�

हम कई अल�-अल� तरीको� से संवा� करते हैं। हम बा� करते है� और शब्द हमार� मुंह से निकलते हैं। हम जो कहते है� उसका लहजा और संदर्भ होता है, जब हम बोलत� है� तो चेहर� की अभिव्यक्ति होती है�

लेकि� जब हम बोलत� है�, तो को� सु� रह� होता है� जब हम संचारि� करते है�, तो को� ग्रह� करता है� जब हम खु� को दर्शको� के सामन� व्यक्त करते है�, तो हम क्या कह रह� है� दूसर� इसको समझन� की कोशि� करते हैं।

और अपने द्वारा कह� गए शब्दों का मेरे लि� जो मतलब हो जरुरी नही� कि मेरे श्रोताओं के लि� भी उसका वही अर्थ हो� कु� श्रोतागण मेरे द्वारा कह� गए शब्दों को सम� सकते है� और उससे सहमत हो सकते है� और अन्य ऐस� करने मे� असमर्थ हो सकते हैं। और हमार� पा� अपने उपयो� कि� जाने वाले शब्दों का अच्छ� विकल्प है�

अपने रोजमर्रा के जीवन मे� हम सभी को हंसन� पसंद है� हंसन� से जीवन बेहत� बनता है� हंसी जीवन की सबसे अच्छी दव� है� हंसन� से अच्छ� हार्मो� का स्रा� होता है जो तनाव को कम करते है� और सु� की भावन� को बढ़ाते हैं।

अग� आप किसी और को अपनी हंसी का पात्� बनात� है� तो क्या होगा?

इससे लिंग भेदभाव और असमानत� कायम होगी� हम सभी को इसको रोकन� के लि� गंभी� प्रयास करने चाहिए। हम क्या कर सकते है?

राजनयि� लगातार प्रतिक्रिय� की तलाश मे� हैं। हम यह जानन� चाहत� है� कि दूसर� हमार� दे� के बारे मे� क्या सोचत� है� (मेरा मतलब है कि वे हमारी सरकारो� के बारे मे� क्या सोचत� है�)� हमार� आम जीवन मे� अग� हम हर सम� अपने बारे मे� दूसर� की भावनाओ� के बारे मे� पूछे तो काफी उबाऊ होगा�

लेकि� हम अपने शब्दों, अपनी भाषाओं और अपने चुटकुल� के बारे मे� पू� सकते हैं। सबसे अच्छी प्रतिक्रिय� तब होती है जब लो� बिना पूछे बोलत� हैं। आसानी से कह दिया गय� - लेकि� हमें क्या करना चाहि�?

दूसर�: हमार� द्वारा इस्तेमाल कि� जाने वाले शब्दों की पसंद के पीछे, रूढ़िवादित� निहि� है�

यौ� रूढ़िवादित� - जैसे कि कमजो� लिंग के तौ� पर महिलाए� - 14 वर्ष की आय� से निहि� होती हैं। यह ऐस� मामल� है जिसे आपको अमी� या गरी� दोनो� देशो� मे� देखन� को मिलत� है�

शुरुआत से ही माता-पिता, रिश्तेदा�, भा� बह�, सहपाठी, शिक्षक, पादरी, को�, सोशल मीडिया, टीवी और अन्य मीडिया सहित समाज के सभी हिस्सो� से यह संदे� दिया जाता है कि लड़कियां संवेदनशी� होती है� और लड़कें मजबू� होते हैं।

लड़कों को अपर्यवेक्षित तरीके से घर से बाहर सम� बिताने के लि� अधिक बढ़ावा दिया जाता है� लड़कियां घर पर रहती है� और का� करती हैं। यहां मा� की भूमिका महत्वपूर्ण है - क्या वह अपने बेटे और बेटी को को समान मानती है या वह क्या वह पितृसत्तात्म� अनुक्र� मे� सह� महसू� करती है?

यूएन वूमे� ने महिलाओ� की उन्नति के लि� #हीफ़ॉरशी सॉलिडेरिटी कैंपेन की शुरूआत की है� इसका उद्देश्य महिलाओ� और लड़कियों के सामन� आन� वाली नकारात्म� असमानताओ� के खिला� कार्रवाई करने के लि� पुरुषो� और लड़कों को प्रोत्साहि� करके उन्हें बदला� के एजें� के रू� मे� शामि� करना है�

इस विचा� मे� पाया गय� कि लैंगिक समानता एक ऐस� मुद्दा है जो सभी लोगो� को - सामाजि�, आर्थिक और राजनीति� रू� से - प्रभावित करती है - इसके लि� पुरुषो� और लड़कों को एक ऐस� आंदोलन मे� सक्रिय रू� से शामि� करना होगा जिसे मू� रू� से ‘महिलाओं द्वारा महिलाओ� के लि� संघर्ष� के तौ� पर माना गय� था�

हमें असंग� हो जाने का डर है� लेकि� हमार� ऊप� बोलन� की ज़िम्मेदारी है विशे� रू� से अग� हम इस पर रो� लगान� और बेहतरी के लि� बदला� लाना चाहत� हैं।

चलिए अब अवसर की समानता पर आत� हैं। चलिए अब मै� अपने संगठ� के बारे मे� बतात� हूं।

हमारी पैरेंट मिनिस्ट्री - विदे� एव� राष्ट्रमंड� कार्यालय - 12,500 से अधिक कर्मचारियो� वाली एक वैश्वि� संस्था है� एक संगठ� के रू� मे�, हम दुनिया भर मे� विविधत� और समावेश� का समर्थन करते हैं।

मेरे जैसे राजनयिको� सहित हमार� एक तिहा� स्टा� ब्रिटे� का है - लेकि� ऐस� भी स्टा� है जो जो केवल ब्रिटे� मे� का� करता है - और दो तिहा� स्थानी� स्टा� हैं। कु� मिलाकर ब्रिटे� की कु� कर्मचारियो� मे� 43% महिलाए� है�, और 42% एल� स्टा� महिलाए� हैं।

ब्रिटे� की पहली महिल� राजदूत, डेनमार्क मे� ऐनी वॉरबर्टन थी� उनकी नियुक्ति 1976 मे� की गई थी� 2008 तक, हमार� पा� 280 मे� से लगभग 22 महिल� मिशन प्रमुख (राजदूत, उच्च आयुक्त, गवर्नर जनरल, कांसुल जनरल और राजनयि� प्रमुख) थी� अब हमार� पा� दुनिया भर मे� 54 महिल� मिशन की प्रमुख हैं।

हम दुनिया भर मे� महिलाओ� और लड़कियों के अधिकारों का समर्थन करते है�, और फरवरी मे� जोना रोपर को लैंगिक समानता के लि� ब्रिटे� के पहले विशे� दू� के रू� मे� नियुक्� किया गय� था�

भारत मे�, हम ब्रिटे� मे� मास्टर्स की पढ़ा� करने के लि� चेवेनिंग स्कॉलरशि� प्रदान करते हैं। चयनि� स्कॉलर्स मे� से लगभग 50% महिलाए� हैं।

हम विभिन्� क्षेत्रो� मे� कई चेवेनिंग स्कॉलरशि� की भी पेशक� करते हैं। चयनि� फेलो मे� से 40% महिलाए� रहती हैं। दरअस� भारत मे� लगभग आधी चेवेनिंग एल्यूमिनी महिलाए� हैं।

जहां से मैंन� शुरू किया था वहां लौटत� हु�, मै� आज यहां आपसे अंतर्राष्ट्री� बालिका दिवस के बारे मे� इसलि� बा� कर रह� हू� क्योंक� मै� एक आदमी हूं। मेरे पा� मा� और बह� है और मेरे बेटे भी है� ‘मैं महिल� से पैदा हु� हूँ�

मै� दुनिया को एक खुशहाल जग� बनान� चाहत� हूं। एक ऐसी जग� जहां हर को� हंसत� रहे। और जहां हर को� बा� कर सक� और उसको सुना जा सके।

इसीलि� लैंगिक समानता के लि� का� करना मे� मेरी भूमिका भी आपके बराब� है�

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प्रकाशित 12 अक्टूब� 2017